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वो इंसान जो घर से डॉक्टर बनने निकला और पढ़ाई बीच में छोड़कर खगोल वैज्ञानिक बन गया

PC: News9Live

चर्च को झुकाने वाला महान वैज्ञानिक जिससे चर्च ने मांगी 350 साल बाद माफ़ी

वो इंसान जो घर से डॉक्टर बनने निकला और पढ़ाई बीच में छोड़कर खगोल वैज्ञानिक बन गया। जी हम बात कर रहे हैं बृहस्पति ग्रह के उपग्रहों को खोजने वाले महान खगोल वैज्ञानिक गैलीलियो (Galileo Galilei) के बारे में, जिनकी चर्चा जेम्स वेब टेलिस्कोप (James Web Telescope) के बारे में बात करते हुए हमने की थी। तो आइए तफसील से बात करते हैं, इस महान खगोल वैज्ञानिक के बारे में।

डॉक्टर बनने निकले और पर बन गए खगोल वैज्ञानिक

गैलीलियो गैलीली का जन्म 1564 में पीसा शहर में हुआ ये वही पीसा शहर है जो लीनिंग टावर के लिए प्रसिद्ध है। गैलिलियो का परिवार पढ़ने-लिखने वाले लोगों का था इनके पिता विन्सेन्ज़ो गैलीली जो एक संगीतकार और विद्वान थे। गैलिलियो अपने छह भाई-बहनों में सबसे बड़े थे।

1581 में उन्होंने मेडिकल साइंस की पढ़ाई करने के लिए 16 साल की उम्र में पीसा विश्वविद्यालय में एडमिशन किया, लेकिन फिर एक अजीब बात हुई, उनका इंटरेस्ट मेडिकल साइंस की जगह मैथ्स की तरफ हो गया। और उन्होंने अपनी डिग्री पूरी किए बिना छोड़ दी (जी हाँ, गैलीलियो एक कॉलेज ड्रॉपआउट थे!) 

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1583 में उन्होंने पेंडुलम की गति को नियंत्रित करने वाले नियमों का वर्णन करते हुए अपनी पहली महत्वपूर्ण खोज की। 1589 से 1610 तक, गैलीलियो पीसा और फिर पडुआ विश्वविद्यालयों में मैथ्स डिपार्टमेंट के हेड थे। उन सालों के दौरान उन्होंने गिरती हुई चीज़ों के साथ प्रयोग किए इन प्रयोगों ने उस समय फिजिक्स के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया।

गैलिलियो का रिश्ता मरीना गम्बा नाम की एक महिला से रहा जिससे उनके तीन बच्चे हुए, दो बेटियां, वर्जीनिया (बाद में “सिस्टर मारिया सेलेस्टे”) और लिविया गैलीली, और एक बेटा, विन्सेन्ज़ो गाम्बा। हालांकि मरीना के साथ गैलिलियो ने आधिकारिक रूप से शादी नही की थी। कैथोलिक चर्च के साथ अपनी बाद की परेशानियों के बावजूद, गैलीलियो की दोनों बेटियां फ्लोरेंस के पास एक कॉन्वेंट में नन बन गईं।

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गैलीलियो, टेलीस्कोप और मेडिसी कोर्ट

1609 में गैलीलियो ने अपना पहला टेलिस्कोप बनाया, ये उन्होंने एक डच टेलिस्कोप के डिजाइन को सुधार कर बनाया था।  1610 के जनवरी में उन्होंने बृहस्पति की परिक्रमा करते हुए चार नए “तारों” (तब इन्हें उपग्रह नहीं कहा था) की खोज की। 

उन्होंने जल्दी से अपनी खोजों को रेखांकित करते हुए “सिडरियस नुनसियस” (“द स्टाररी मैसेंजर”) नाम की किताब प्रकाशित की। इस किताब में चंद्रमा की सतह के क्रेटरों और मिल्की वे में नए सितारों के समूह के बारे में जानकारी थी।

टस्कनी के शक्तिशाली राजा ग्रैंड ड्यूक, कोसिमो द्वितीय डी मेडिसी को प्रभावित करने की कोशिश में उन्होंने सुझाव दिया कि बृहस्पति के चंद्रमाओं को “मेडिसियन स्टार्स” कहा जाए। द स्टाररी मैसेंजर” ने गैलीलियो को इटली में एक सेलिब्रिटी बना दिया।

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कोसिमो द्वितीय ने उन्हें मेडिसिस में गणितज्ञ और दार्शनिक बना दिया, इसके साथ ही उन्हें अपने सिद्धांतों का प्रचार करने और अपने विरोधियों का मज़ाक उड़ाने के लिए एक मंच भी दिया।

गैलीलियो की खोजों ने ब्रह्मांड के बारे अरस्तू के समय से चली आ रही धारणाओं का खंडन किया, ये धारणाएं उस समय के वैज्ञानिकों और धर्मशास्त्रियों दोनों द्वारा व्यापक रूप से स्वीकार की जाती थीं।

चंद्रमा की ऊबड़-खाबड़ सतह की खोज से तथाकथित “हेवनली परफेक्शन” के विचार की हवा निकल गई, मतलब ये कि अगर चांद को ईश्वर ने बनाया है तो उसकी सतह उबड़ खाबड़ क्यों छोड़ दी?

और धरती को ब्रह्मांड का केन्द्र मानने वाले विचार को मेडिसियन “सितारों” की खोज ने एक मजबूत चुनौती दी।

गैलीलियो गैलीली का मुकदमा

1616 में कैथोलिक चर्च ने निकोलस कोपरनिकस के “डी रेवोल्यूशनिबस” को प्रतिबंधित पुस्तकों की अपनी सूची में रखा, जो सूर्य को हमारे सौर मंडल का केंद्र बताते हुए एक शुरुआती वैज्ञानिक तर्क था।

पोप पॉल पंचम ने गैलीलियो को रोम बुलाया और उनसे कहा कि वह अब सार्वजनिक रूप से कॉपरनिकस का समर्थन नहीं कर सकते।

1632 में गैलीलियो ने अपना “डायलॉग कंसर्निंग द टू चीफ वर्ल्ड सिस्टम्स” प्रकाशित किया, जिसमें माना जाता है कि “सौर केंद्रीय” बहस के दोनों पक्षों के लिए तर्क प्रस्तुत किए गए थे। दोनों विचारों का बैलेंस बनाये रखने की इस कोशिश का भी चर्च पर कोई खास असर नहीं पड़ा।

गैलीलियो को 1633 में रोम में तथाकथित “न्यायिक जांच” के लिए बुलाया गया। पहले तो उन्होंने इनकार किया कि उन्होंने “सौर केंद्रीय” ब्रह्मंड की वकालत की थी, लेकिन बाद में उन्होंने सजा से बचने के लिए कहा कि उन्होंने ऐसा अनजाने में ही किया था। 

गैलीलियो को “विधर्म के प्रबल संदेह” का दोषी ठहराया गया इसके लिए उन्हें सार्वजनिक माफी मांगने और अपने “पाप” का प्रयाश्चित करने की सजा सुनाई गई। इस मुकदमे के समय लगभग 70 साल के गैलीलियो ने अपने अंतिम नौ साल आराम से हाउस अरेस्ट में गुजारे, अपने शुरुआती गति प्रयोगों की समरी लिखते हुए जो उनका आखिरी महान वैज्ञानिक कार्य बना।

दिल की बीमारी और बुखार से पीड़ित होने के बाद 8 जनवरी, 1642 को 77 साल की उम्र में इटली के फ्लोरेंस के पास अर्सेट्री में उनका निधन हो गया।

गैलीलियो ने क्या कमाल किए?

गैलीलियो (Galileo) की एक महत्वपूर्ण खोज थी उनके गति के नियम, उन्होंने acceleration के नियमों को विस्तार से समझाया जिसके आधार पर आगे चलकर आइजक न्यूटन ने “क्लासिकल मैकेनिक्स” के नियमों के रूप में दुनिया के सामने रखा।

गैलीलियो का सूर्यकेंद्रवाद जिसे केप्लर द्वारा और बेहतर बनाया गया वह जल्द ही एक स्वीकृत वैज्ञानिक तथ्य बन गया।  कंपास और बैलेंस से लेकर उन्नत टेलिस्कोप और माइक्रोस्कोप तक उनके आविष्कारों ने खगोल विज्ञान और जीव विज्ञान में क्रांति ला दी। 

गैलीलियो ने चंद्रमा पर क्रेटर और पहाड़ों, शुक्र के चांद की तरह विभिन्न आकर, बृहस्पति के चंद्रमाओं और आकाशगंगा के सितारों की खोज की।  गैलिलियो ने अपनी वैज्ञानिक खोजों को ऑब्जर्वेशन के साथ एविडेंस यानी तथ्यों पर भी आधारित रखा।

गैलिलियो की मौत के सालों बाद चर्च के साथ अपने संघर्ष में, गैलीलियो को भी काफी हद तक सही ठहराया गया। वोल्टेयर जैसे महान विचारकों ने गैलीलियो को निष्पक्षता के लिए शहीद कहा।

1744 में गैलीलियो की किताब को चर्च की प्रतिबंधित पुस्तकों की सूची से हटा दिया गया था, और 20वीं शताब्दी में पोप पायस बारहवें और जॉन पॉल द्वितीय ने चर्च द्वारा गैलीलियो के साथ किये गए खराब व्यवहार के लिए आधिकारिक रूप से माफी मांगी।

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