अगर आप चाहते हैं कि आपको नए-नए फोन इस्तेमाल करने को मिलते रहें। तो आज ही कीजिए ये काम। क्या आप जानते हैं कि अभी तक केवल 20 फीसदी फोन ही रीसाइकल RECYCLE हो रहे हैं-EPA। अगर आप भी करते हैं यही गलती तो ये खबर आप ही के लिए है। अपने पुराने फोन्स PHONES को रीसाइकल करना शुरू कर दीजिए क्योंकि आपके घरों में रखे फोन 40 बार लपेट सकते हैं धरती को। और इतना ही नहीं पुराने फोन रीसाइकल RECYCLE नहीं हुए तो 20 साल बाद नहीं मिलेंगे नए फोन।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे लोगों से मिलने जुलने बात करने एक -दूसरे के बारे में पता लगाने की लालसा रहती है। संपर्क में रहने की इसी लालसा ने इंसान से फोन का आविष्कार कराया। फोन आज की पीढ़ी की एक महत्वपूर्ण जरूरत बन गया है।
शुरुआती दिनों में लोग सिर्फ संपर्क की जरूरत के लिए इसका उपयोग करते थे। लेकिन, आज के समय में हर इंसान के लिए फोन एक स्टे्टस सिंबल बन गया है।
नया फोन लेना आज के समय का ट्रेंड बन गया है। नए- नए फीचर्स के फोन लॉन्चिंग के साथ ही लगातार फोन को बदलना एक आम सी बात हो चुकी है। भारत में 2004 से 2021 तक 52% से ज्यादा लोगों ने कम से कम 2 साल के उपयोग के बाद अपने स्मार्टफोन बदल दिए और करीब 10 % भारतीय हर 6 माह में फोन बदलते रहते हैं।
लोग नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने के लिए नया फोन तो ले लेते हैं मगर पुराने फोन को अपने पास ही रख लेते हैं जिससे उसकी रीसाइक्लिंग नहीं हो पाती। दुनिया भर में रीसाइक्लिंग कितने लोग करते हैं? इसका जवाब आपको चौंका देगा ?
लोगों की अलमारियों में रखे इस्तेमाल न हो रहे मोबाइल फोन्स को 1 सीध में रखा जाए तो 40 बार पृथ्वी को लपेटा जा सकता है। भारत में फोन रीसाइिकल करने वालों की संख्या बेहद कम है। एक फोन में कई रेयर अर्थ मेटल्स का प्रयोग होता है। इनका भंडार इतना सीमित है कि यही हाल रहा तो अगले 20 वर्षों में नए फोन बनाने के लिए ये मेटल्स खत्म हो जाएंगे।
लोग फोन्स की रीसाइक्लिंग करते क्यों नहीं? कैसे इसमें बदलाव ला सकते हैं? पुराने फोन रिसाइिकल करना क्यों जरूरी है? आपके सभी सवालों के जवाब में हमारे इस लेख के माध्यम से दिए जाएंगे।
फोन को रिसाइकिल करना क्यों जरूरी है?
फोन को बनाने के लिए कई तरह रेयर अर्थ मेटल्स तथा बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स का उपयोग किया जाता है। लगभग आधे से ज्यादा नए फोन का निर्माण पुराने फोन से किया जा सकता है। अन्य बहुत सारी चीजें बनाने में भी इनका उपयोग किया जा सकता। इन तत्वों का भंडार सीमित है ऐसे में अगर रीसाइकलिंग नहीं किया तो जल्दी इनके भंडार खत्म हो जाएंगे।
आमतौर पर फोन की शेल्फ लाइफ चार-पांच साल होती है उसके बाद फोन की कंपनी अपडेट देना बंद कर देती। लोग शेल्फ लाइफ खत्म होने से पहले नया फोन तो ले लेते हैं मगर पुराने फोन रीसाइकिल नहीं करते।
अगर ऐसे ही हालात रहे तो 20 साल के अंदर नए फोन बनाने हेतु सभी सामग्री खत्म हो जाएगी।इसके कारण बैटरी से लेकर, टच स्क्रीन में प्रयोग आने वाली धातुओं की किल्लत हो जाएगी।
रीसाइक्लिंग क्यों नहीं करते लोग?
फोन रीसाकलिंग करने से अधिकतर लोग कतराते हैं। लोगों का मानना है कि इससे फोन में मौजूद डाटा चोरी हो जाएगा या फिर इसका गलत इस्तेमाल किया जाएगा ।अधिकतर लोगों को यह पता है कि पुराने फोन के बदले में पैसे मिलता है लेकिन फिर भी लोग अपने पास जमा करने पर तुले हुए हैं।
क्लाउड स्टोरेज डाटा प्रोटेक्शन का हल
आज के समय में लोग फोन में ही वीडियो ,फोटो सेव कर लेते हैं। इसकी वजह से ज्यादा मेमोरी वाला फोन ले लेना लोग पसंद करते हैं ।लेकिन फोन डेटा की सुरक्षा में बेहद असुरक्षित है। दुनिया में क्लाउड स्टोरेज के प्रति रुझान तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि फोन खराब या चोरी होने पर आपका डाटा असुरक्षित हो सकता है।
भारत में रीसाइक्लिंग की प्रक्रिया
भारत में ज्यादातर फोन के लिए रीसाइकलिंग अवैध रूप से होती है। फोन रीसाइकलिंग के लिए आप फोन को किसी रजिस्टर्ड फोन शॉप पर दे सकते हैं या फिर सरकार द्वारा कई जगहों पर लगाए गए ई- वेस्ट कलेक्शन के डिब्बे में पुराने फोन डाल सकते हैं।
पुराने फोन को इस्तेमाल करने के खतरनाक प्रभाव
ज्यादातर लोग नए फोन पुराने फोन में कमी या खराबी होने के कारण लेते हैं। लेकिन यह काफी नुकसानदेह हो सकता है ये पता ना होने के कारण पुराने फोन अपने पास ही जमा कर लेते हैं।
हर फोन में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन होता है जिसकी रेडिएशन की मात्रा शेल्फ लाइफ खत्म होने के बाद बढ़ जाती है। लंबे समय तक रेडिएशन के प्रभाव से ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर समस्या हो सकती हैं।इसलिए पुराने फोन की रीसाइकलिंग बेहद जरूरी है।