हमारे संविधान में वैज्ञानिक सोच पर जोर दिया गया है, और इसे बढ़ाने के लिए प्रयास करने की बात की गई है लेकिन ये बात शायद कागज़ों पर ही लिखी रह गई है हमारे विचार और व्यवहार में नहीं आ पाई। भारत इस समय कोरोना वायरस की दूसरी लहर से संघर्ष कर रहा है। पर इस महामारी के बीच सोशल मीडिया पर अफवाहों की बाढ़-सी आ गई है। एक बड़ा वर्ग इसपर यकीन भी कर रहा है ये दिखाता है कि 21 वीं सदी में भी लोग किस तरह चीज़ों पर आंख मूंद कर भरोसा कर लेते हैं। द न्यूज़ बीन्स ने कोरोना से जुड़े बहुत से मिथकों की पड़ताल की और सच पता लगाने की कोशिश की।
मिथक- लहसुन कोरोना से बचा सकता है।
फैक्ट– लहसुन एक स्वस्थ भोजन है जिसमें कुछ रोगाणुरोधी गुण हो सकते हैं। मगर विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि लहसुन खाने से कोरोनवायरस से किसी भी तरह का बचाव होता है। अरे भैया! अगर लहसुन से कोरोना ठीक हो रहा होता तो पूरी दुनिया लहसुन न चबा रही होती? क्यों सरकार वैक्सीन और दवाइयों पर अरबों रुपये खर्च करती?
मिथक- क्लोरिन के गरारे करना या उससे नहाने से कोरोना का बचाव।
फैक्ट– मर जाओगे अगर ऐसा किये तो!! क्लोरीन ब्लीच फिनायल की तरह एक ऐसा केमिकल है जो जमीन, और अन्य सतहें साफ करने के लिए होता है…जिंदा इंसानों के गरारे करने के लिए नहीं। गला और मुहँ तो जलेगा ही अगर अंदर चला गया तो ऊपर का कन्फर्म टिकट है।
मिथक- यू वी लाइट से हाथ सैनिटाइज होंगे
फैक्ट– प्रभु! यू वी लाइट से बैक्टीरिया, वायरस और अन्य जीवाणु तो मरते हैं पर इससे हमारे जिंदा सेल (कोशिकाएं) भी मर जाती हैं। अगर इससे हाथ सैनीटाइज करते रहोगे तो कैंसर भी हो सकता है।
मिथक- स्टीम/भाप लेना कोरोनावायरस से बचाव करता है।
फैक्ट– इंटरनेट पर स्टीम/भाप के प्रयोग से कोरोना के इलाज का मैसेज वायरल हो रहा है। इस पर डॉ विकास मौर्य (निदेशक फोर्टिस अस्पताल पल्मोनोलॉजी विभाग) का कहना है कि, “भाप लेना नाक, साइनस और गले में किसी भी प्रकार के वायरल संक्रमण के दौरान श्वसन मार्ग को साफ करने में मदद कर सकता है “भाप लेने से अकड़न दूर होती है, गले को आराम मिलता है। यह रोगियों को कुछ लक्षणों से राहत दिलाने में मदद कर सकता है, लेकिन यह वायरस को नहीं मार सकता”
कुल मिला कर अगर नाक बंद है तो भाप लो लेकिन कोरोना मरेगा या रुकेगा ऐसा मान कर नहीं।
मिथक- 5G के कारण COVID-19 का प्रसार
फैक्ट– कहाँ से लाते हो इतना ज्ञान? भैया वो वायरस है, तुम्हारा गुड मॉर्निंग मेसेज नहीं है जो मोबाइल नेटवर्क से फैलेगा! वायरस को फैलने के लिए droplets (पानी की सूक्ष्म बूंदों) या एयरोसोल की जरूरत होती है 5G टावर की नहीं! सोशल मीडिया पर एक मैसेज अधिक वायरल हो रहा है जिसमें 5G नेटवर्क को कोरोना के प्रसार का कारण बताया जा रहा है। इस पर 7 मई को सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने देश में सोशल मीडिया पर चल रही झूठी अफवाहों के बारे में चिंता व्यक्त की, जिसमें COVID-19 और 5G तकनीक के प्रसार के बीच संबंध बनाने का प्रयास किया गया। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वायरस रेडियो तरंगों या मोबाइल नेटवर्क पर ट्रैवल नहीं कर सकते हैं, अगर कर सकते तो इसी रेडियो वेव पे वैक्सीन भी ट्रेवल कर लेती तुम्हें क्यों इंजेक्शन ठुकवाना पड़ता?
तो भैया इस तरह की अफवाहों पर न तो विश्वास करें और न ही इन्हें फॉरवर्ड करें। अगर आपके किसी दोस्त या रिश्तेदार ने ऐसे मैसेज आपको भेजे हैं तो न्यूज बीन्स का ये आर्टिकल उसे तुरंत भेज दो। और एक जरुरी बात थोड़ा वैज्ञानिक सोच का विकास करो, जितना ध्यान से नेताओं और अभिनेताओं को सुनते हो उतना ही ध्यान से वैज्ञानिकों को सुनो। माना भाषा थोड़ी कठिन होती है पर हम हैं न, द न्यूज़ बीन्स बिल्कुल सरल भाषा में आपको विज्ञान के तमाम पहलुओं के बारे में समझायेगा।