अगर आप भी हर घर तिरंगा अभियान के तहत तिरंगा लगाने जा रहे हैं तो तिरंगा लगाते समय मत कीजिएगा ये गलती। कुछ ही दिनों में भारत को आज़ाद हुए 75 साल होने वाले हैं। 75 वें स्वतंत्रता दिवस को यादगार मनाने के लिए सरकार ने ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ नाम से एक आयोजन शुरू किया है। इसके तहत ‘हर घर तिरंगा’ अभियान भी शुरू किया गया है जिसका उद्देश्य है आगामी 15 अगस्त तक ज्यादा से ज्यादा नागरिक अपने घरों पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराएं।
इसी क्रम में प्रधानमंत्री ने लोगों से अपनी सोशल मीडिया की डिस्प्ले पिक्चर पर तिरंगा लगाने को भी कहा है। इस अपील का पालन करते हुए बहुत से लोगों ने अपनी डिस्प्ले पिक्चर पर तिरंगा लगाया पर कुछ लोगों ने तिरंगे के ऊपर अपना चेहरा लगा दिया, या उसपर कुछ लिखकर पोस्ट कर दिया। इसके अलावा हर घर तिरंगा अभियान में भी कई जगह तिरंगे का अपमान देखने को आया है।
इस अभियान से पहले तक आधिकारिक तौर पर तिरंगे खादी या सिल्क से ही बनाये जाते थे, सरकार ने नियमों में ढील देते हुए इसे सिंथेटिक पॉलिस्टर कपड़े से भी बनाने की छूट दे दी है। देशभर में बड़े पैमाने पर तिरंगे छापे जा रहे हैं। इस दौरान बहुत से तिरंगे अमानक स्तर के पाए गए हैं, इन झंडो में तिरंगे की आधिकारिक माप का ख्याल नहीं रखा है, कहीं अशोक चक्र को बीच में न रखकर एक तरफ कर दिया गया है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे उन सावधानियों के बारे जो आपको तिरंगा फहराते हुए रखनी हैं।
तिरंगे का अर्थ
तिरंगे के मानक
भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जिसे बोलचाल की भाषा में तिरंगा कहा जाता है, इसमें तीन horizontal पट्टियां हैं सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरे रंग की बराबर चौड़ाई वाली पट्टियां हैं। गहरे नीले रंग का 24 तीलियों वाला अशोक चक्र इसके केंद्र में होता है।
22 जुलाई 1947 को हुई संविधान सभा की बैठक के दौरान इसे अपने वर्तमान स्वरूप में अपनाया गया था। भारत की ध्वज संहिता के अनुसार, भारतीय झंडे की चौड़ाई : ऊंचाई का अनुपात 3:2 है। अशोक चक्र का आकार ध्वज कोड में नहीं है, लेकिन “IS1: भारतीय ध्वज के लिए विनिर्माण मानकों” की धारा 4.3.1 में, एक चार्ट है जो ध्वज और चक्र के विशिष्ट आकार को तय करता है।
भारत की ध्वज संहिता
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का फहराना/उपयोग/प्रदर्शन राष्ट्रीय सम्मान के अपमान निवारण अधिनियम, 1971 और ध्वज संहिता द्वारा नियंत्रित है। ध्वज संहिता का उल्लंघन करने वाले पर राष्ट्रीय सम्मान के अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत कार्रवाई भी हो सकती है।
भारत के ध्वज संहिता, 2002 की कुछ मुख्य बिंदु हैं:
- भारत की ध्वज संहिता, 2002 को 30 दिसंबर, 2021 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया था और पॉलिएस्टर या मशीन से बने ध्वज से बने राष्ट्रीय ध्वज को अनुमति दी गई है। अब, राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काता और हाथ से बुने हुए या मशीन से बने, कपास/पॉलिएस्टर/ऊन/रेशम खादी बंटिंग से बना भी हो सकता है।
- सार्वजनिक, निजी संगठन या शैक्षणिक संस्थान का कोई सदस्य राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान के अनुरूप सभी दिनों और अवसरों पर, औपचारिक या अन्यथा, राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है / प्रदर्शित कर सकता है।
- भारत की ध्वज संहिता, 2002 को 19 जुलाई, 2022 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया था और भारत के ध्वज संहिता के भाग- II के पैराग्राफ 2.2 के खंड (xi) को निम्नलिखित खंड द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था: (xi) “जहां ध्वज खुले में प्रदर्शित किया जाता है या जनता के किसी सदस्य के घर पर प्रदर्शित किया जाता है, इसे दिन के साथ रात में भी फहराया जा सकता है; इस संशोधन से पहले रात को तिरंगा फहराने की अनुमति नहीं थी। और यदि फहराना हो तो तिरंगे के लिए रोशनी की व्यवस्था करना जरूरी था।
- राष्ट्रीय ध्वज आकार में आयताकार होगा। झंडा किसी भी आकार का हो सकता है लेकिन झंडे की लंबाई और ऊंचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3:2 होगा।
- जब भी राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित किया जाता है, तो उसे सम्मान की स्थिति और विशिष्ट रूप से रखा जाना चाहिए।
- क्षतिग्रस्त या अमानक झंडा प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए।
- किसी अन्य ध्वज या झंडों के साथ-साथ एक ही मास्टहेड (डंडे या पोल) से झंडा नहीं फहराया जाना चाहिए।
- ध्वज संहिता के भाग III की धारा IX में उल्लिखित गणमान्य व्यक्तियों, जैसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, राज्यपाल आदि को छोड़कर किसी भी वाहन पर झंडा नहीं फहराया जाना चाहिए।
- राष्ट्रीय ध्वज के साथ किसी भी अन्य ध्वज को ऊपर या बगल में नहीं रखा जाना चाहिए।
- झंडे को कभी भी टेबल, पोडियम या इमारतों को ढंकने के लिए या रेलिंग से लपेटने के लिए कपड़े के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
- भारत के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर कुछ भी लिखा नही जाना चाहिए।
हमारा तिरंगा हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के के बलिदानियों और हमारे सैनिकों के गौरव का प्रतीक है। इसे देखकर हमारे मन में अपने देश के प्रति कुछ बेहतर योगदान देने का भाव आता है। इसका सम्मान करना हर भारतवासी का कर्तव्य है। आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए हमें तिरंगे के सम्मान का विशेष ध्यान रखना है, तभी हम अपने स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानियों को सच्ची श्रद्दांजलि अर्पित कर पाएंगे। ये महत्वपूर्ण जानकारी आप अपने सभी दोस्तों से साझा करें और तिरंगे का सम्मान कायम रखते हुए आज़ादी का जश्न मनाएं।