वन्यजीव संरक्षण संशोधन विधेयक 2021 The Wild Life (Protection) Amendment Bill, 2021 के बारे वो सब जो आपको जानना चाहिए। तमाम हंगामे और स्थगनों के बीच चल रहे इस मानसून सत्र में लोकसभा ने बीते 2 अगस्त को वन्यजीव संरक्षण संशोधन विधेयक 2021 पारित किया। विधेयक का उद्देश्य वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कन्वेंशन (CITES) को लागू करना और इस कन्वेंशन द्वारा संरक्षित प्रजातियों की संख्या को बढ़ाना है। CITES एक ऐसा अंतराष्ट्रीय कन्वेंशन है जो इसके सदस्य देशों द्वारा वन्य जीवों और वनस्पतियों के व्यापार को नियंत्रित करता है।
असंशोधित वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम Unamended Wildlife (Protection) Act में 6 अनुसूचियां थीं जिसमें विशेष रूप से संरक्षित पौधों की एक अनुसूची, विशेष रूप से संरक्षित जानवरों की चार अनुसूचियां, बीमारी फैलाने और भोजन को नष्ट करने वाले (वर्मिन) जानवरों के लिए एक अनुसूची थी। संशोधित बिल वर्मिन प्रजातियों की अनुसूची को समाप्त करके और विशेष रूप से संरक्षित जानवरों की एक अनुसूची को कम कर के अनुसूचियों की कुल संख्या को घटाकर चार कर देता है। यह CITES के तहत आने वाले जानवरों के लिए एक नई अनुसूची भी जोड़ता है।
इस बिल का उद्देश्य क्या है?
यह बिल केंद्र सरकार द्वारा एक प्राधिकरण बनाने का प्रावधान करता है जो जानवरों के व्यापार के लिए निर्यात या आयात लाइसेंस प्रदान करेगा। जो कोई भी अनुसूचित जानवरों में ट्रेड करता है, उसे लेन-देन की बारीकियों के बारे में उपयुक्त अधिकारी को सूचित करना होगा।
यह विधेयक वन्यजीव अभयारण्यों के अधिक नियंत्रण को भी सुनिश्चित करेगा और सरकार को एक संरक्षण रिजर्व, अभयारण्यों या राष्ट्रीय उद्यानों के बगल में स्थित एक क्षेत्र को वनस्पतियों और जीवों की रक्षा के लिए अधिसूचित करने का अधिकार देगा। इसके अतिरिक्त, बिल किसी भी व्यक्ति को किसी भी बंदी जानवरों या पशु उत्पादों को सरेंडर करने का प्रावधान करता है जिसके लिए कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा और ये आइटम राज्य सरकार की संपत्ति बन जाएंगे
हाथियों के बारे में चिंताएं
इस संशोधन के जरिए हाथियों के व्यापार के संबंध में धारा 43 (2) के बाद निम्नलिखित शर्त जोड़ी जाएगी
“बशर्ते कि स्वामित्व का वैध प्रमाण पत्र रखने वाले व्यक्ति द्वारा किसी “धार्मिक” या किसी अन्य उद्देश्य के लिए बंदी हाथी का स्थानांतरण (transfer) और परिवहन ऐसे नियमों और शर्तों के अधीन होगा जो केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जा सकती हैं।”
यह पहली बार है जब वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम में धर्म का स्पष्ट रूप से उपयोग किया गया है, पहली दृष्टि में तो यह एक अपवाद को पैदा करता है जिसका फायदा हाथियों का अवैध व्यापार करने वाले लोग उठा सकते हैं
बंदी हाथी को धार्मिक या किसी अन्य उद्देश्य के लिए स्थानांतरित करने की अनुमति है। इस कानून में स्थानांतरण (transfer) की परिभाषा में स्वामित्व (ownership) का व्यावसायिक आदान-प्रदान शामिल है, मसलन यदि मेरे पास एक हाथी है, तो मैं उस हाथी को किसी अन्य व्यक्ति को बेच सकता हूं। नया मालिक राज्य के संबंधित मुख्य वन्यजीव वार्डन के सामने अपने नाम पर उस हाथी के लिए नए स्वामित्व प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर सकता है।
हाथियों को किसी भी निजी या धार्मिक संस्था द्वारा किसी भी धार्मिक या किसी “अन्य उद्देश्य” के लिए अधिग्रहित किया जा सकता है। यह कानून बेचने का अधिकार और हाथी हासिल करने का अधिकार दोनों देता है। लेकिन इसके अलावा अब यह एक हाथी के उपयोग के अधिकार को स्वीकृत करता है।
“धार्मिक” और “अन्य उद्देश्य” व्यापक और अस्पष्ट श्रेणियां हैं जिन्हें परिभाषित और सीमित करने की जरूरत है। हमें यह पूछने की जरूरत है कि हाथी मंदिर या धार्मिक जुलूस में क्या करेगा? इसके लिए इसे कैसे प्रशिक्षित किया जाएगा?
किसी भी जंगली जानवर को पालतू या घरेलू कहने के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। कोई भी जंगली जानवर सजा के डर या इनाम के लालच में अपने मूल जंगली स्वभाव को छोड़ता है। हम सभी जानते हैं कि जंगली हाथियों को ट्रेनिंग के नाम पर कितनी यातनाएं सहनी पड़ती हैं। क्या ये कानून उन सभी यातनाओं को धार्मिक आधार पर सही ठहरा रहा है?
हम क्या कर सकते हैं?
हाथियों की यातनाओं और जंगली परिवेश से उनकी तस्करी को नियंत्रित करने के लिए स्पष्ट प्रावधान करने चाहिए, कानून में जानबूझकर ऐसे लूपहोल नहीं छोड़े जाने चाहिए जिसके इस्तेमाल करके जानवरों के साथ क्रूरता करने वाले लोग कर सकें।
हाथियों का ट्रांसफर केवल वैध स्वामित्व वाला व्यक्ति ही कर सकता है लेकिन आज भारत में ज्यादातर पालतू हाथी अवैध स्वामित्व वाले लोगों के पास हैं। धारा 42 में लिखा है कि स्वामित्व प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले व्यक्ति के पास हाथी को रखने के साधन होने चाहिए, इसे सुनिश्चित करने के लिए स्वामित्व प्रमाण पत्र जारी करने या यहां तक कि ट्रांसफर परमिट जारी करने से पहले जांच करने के लिए मुख्य वन्यजीव वार्डन की जिम्मेदारी भी तय करनी चाहिए।
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