संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद शब्द को जोड़ने के 15 साल के भीतर ही भारत ने समाजवाद की पोटली बंद कर के आर्थिक उदारवाद की अलमारी खोल ली, इस अलमारी को खोले बिना भारतीय अर्थव्यवस्था को जिन्दा रख पाना नामुमकिन था। इसके बाद लाइसेंस राज के दौर में रसातल में जा चुकी अर्थव्यवस्था धीरे धीरे […]
सिर्फ प्राइवेटाइजेशन से नहीं हो पायेगा!