आखिर ऐसे कौन से कारण हैं कि जीवन से प्रेम करने की बजाय इंसान आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है?
आत्महत्या: आपके दिमाग क्यों आता है ये विचार? इससे कैसे उबरें? हमारे मन में सुबह उठने से लेकर रात को सोने से पहले अनगिनत विचार आते रहते हैं कि कैसे हम अपने जीवन को जियें और कैसे इसे बेहतर बनाएं? समय-समय पर सुख-दुख के उतार-चढ़ाव भी आते रहते हैं। कभी-कभार जीवन में कुछ घटनाओं की वजह से आप निराशा के भंवर में भी फंस जाते हैं। और आपको लगने लगता है कि अब जीने का कोई मकसद नहीं है। इसलिए अपने जीवन की आस छोड़ कर आत्महत्या जैसे गंभीर विचार आपके दिमाग में आने लगते हैं। कई बार कुछ लोग गलत कदम भी उठा लेते हैं।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है या देखा है? अस्पतालों में लोगों को गंभीर बीमारियों से जूझते हुए। नाउम्मीदी की हालत में भी ज़िंदगी के लिए संघर्ष करते हुए।
“डॉक्टर साहब मुझे बचा लीजिए, मैं मरना नहीं चाहता!” या फिर “काश मुझे दो पल और मिल जाए”
ऐसी पंक्तियां हमें अंदर तक झकझोर कर रख देती हैं। ये संघर्ष ये भी बताता है कि मानव जीवन हमें एक ही बार मिलता है। और जब हमें यह समझ या जाता है तो मानव जीवन की कीमत भी समझ में आती है। आत्महत्या जैसे कदम हमें यह सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि अनमोल जिंदगी को इंसान कुछ ही मिनटों में कैसे खत्म कर लेता है?
चलिए जानने की कोशिश करते हैं कि वो क्या है जो किसी व्यक्ति को आत्महत्या जैसा कदम उठाने पर मजबूर करता है? समय रहते इसके लक्षणों को कैसे पहचाने? इसकी रोकथाम कैसे करें?
अचंभित कर देंगे आत्महत्या संबंधित आंकड़े
आत्महत्या के आंकड़ों का ग्राफ देखकर आप चौंक उठेंगे। हर दिन हम अखबारों या न्यूज़ चैनलों के माध्यम से आत्महत्या जैसी खबरों को सुनते रहते हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में आत्महत्या की घटनाएं काफी बढ़ती जा रही हैं।
वर्ष 2021 में 1,65,033 व्यक्तियों ने आत्महत्या द्वारा अपनी जिंदगी खत्म ली। और ये वो आँकड़ें हैं जो रिपोर्ट हुए। बहुत से मामले तो ऐसे हैं जो सामने ही नहीं आ पाते।
आत्महत्या के कारण
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार आत्महत्या करने की प्रमुख वजह प्रोफेशनल और कैरियर प्रॉब्लम रही हैं। हाल ही में मुख्य तौर पर युवाओं में आत्महत्या सबसे तेजी बढ़ती जा रही है। इसके कुछ अन्य कारण हैं- गंभीर बीमारी, पारिवारिक कलह, आर्थिक व मानसिक विकार या किसी परीक्षा में असफलता इत्यादि भी आत्महत्या के प्रमुख कारणों में से एक गिने जाते हैं।
कभी कभार मनुष्य स्वयं भी अपने बुरे वक्त और अपनी आत्महत्या के लिए जिम्मेदार होता है। जैसे गलत काम, नियमों की अवहेलना, अपराध, क्षणिक भावनाएं हावी होना, बिना सोचे समझे निर्णय लेना, दूसरों पर जरूरत से ज्यादा विश्वास करना, दिखावा, लापरवाही, लत, नशाखोरी, गलत संगत, लालच, नकारात्मक विचार, खुद को कमजोर समझना, गुस्सैल स्वभाव, इत्यादि विकार भी मनुष्य को आत्महत्या की परिस्थिति में डाल देते हैं।
इसके लक्षण क्या हैं?
- कोई इंसान बेहद दुखी दुखी सा लगे, लेकिन खुद को खुश दिखाने की कोशिश करता है तो वह स्माइलिंग आत्महत्या होती है।
- अगर वह वर्तमान में भविष्य को लेकर कोई गंभीर चिंता व्यक्त कर रहा है, या उस शांत अवस्था में खुद को खत्म करने की बात करता है तो उसे नजरअंदाज ना करें।
- किसी व्यक्ति का नींद व जानलेवा गोली, या हथियार आदि खरीदना भी आत्महत्या की तैयारी हो सकती है।
- ऐसे लोग जो रचनात्मक क्षेत्र से जुड़े होते हैं और खासकर अपनी कविता या कला आदि के माध्यम से आपबीती प्रकट करते हैं।
इसकी रोकथाम कैसे करें?
- अगर कोई इंसान आपके आगे दुखभरी बातें करता है तो जितना संभव हो उसके उस इंसान से बातें करें व उसका ध्यान क्रिएटिव चीजों की तरफ मोड़ने का प्रयास करें।
- जब कभी आप उदास हों या आपके मन में आत्महत्या जैसे विचार आयें, तो अपने विचारों को परिवर्तित करने के लिए अपनी दिनचर्या बदलें, शारीरिक व्यायाम करें, खुलकर मुस्कुराए, दूसरों से बातें शेयर करें।
- समय-समय पर आत्महत्या रोकथाम हेतु जागरूकता फैलाए।
- आत्महत्या जैसा नकारात्मक विचार महसूस होने पर ज्यादा से ज्यादा समय अपने परिवार व दोस्तों के साथ बिताएं।
- अगर आत्महत्या जैसे लक्षणों में से कोई भी इंसान ज्यादा गंभीर लगता है तो उसे तुरंत मानसिक रोगी अस्पताल में ले जाएं।
- अपना ध्यान नकारात्मक विचारों से हटाने हेतु रोज डायरी लिखें।
- स्वास्थ्य संबंधी एक्सरसाइज, व मेडिटेशन करें।
- काउंसलिंग, दवाई व थेरेपी आदि के जरिए भी आत्महत्या की रोकथाम की जा सकती है।
अंत में यही कहना है कि आखिर हमें कभी भी यह नहीं भूलना चाहिए कि जीवन बहुत अनमोल है। और ये एक ही बार मिलता है। आत्महत्या जैसी परिस्थिति में एक न एक बार अपने स्वजनों के बारे में सोचें आखिर जिन्होंने आप को पाल-पोस कर इतना बड़ा किया या उन परिजनों पर आपके जाने के बाद क्या बीतेगी? परिजनों के लिए तो उनकी पूरी दुनिया बिखर जाती है।
हमेशा याद रखें कि समय अच्छा हो या बुरा, एक न एक दिन अवश्य बदल जाएगा। कठिनाइयों से घबराकर जिंदगी खत्म करना कोई समस्या का समाधान नहीं है। कोई भी समस्या चाहे वो कितनी ही बड़ी क्यूँ न हो! उसे सोच-विचार करके या एक दूसरे से शेयर करके उसका समाधान निकाला जा सकता है। कोशिश जरूर करनी चाहिए, हौंसला न छोड़े। बेशक जीत उम्मीद और जीवन की ही होगी।