जब भी कभी आप को अस्पताल जाना पड़ता है तो आपके दिमाग में पहला ख्याल आता होगा कि अरे यार कहीं कोई इन्फेक्शन ना हो जाए या कोई बीमारी ना लग जाए। और ऐसा लगना बिल्कुल जायज है। कितनी ही बार ऐसा होता है कि आपको अस्पताल में जाने की वजह से ही कोई इन्फेक्शन हो जाता है।
अब जरा सोचिए, जिन लोगों को रोजाना अस्पताल जाना पड़ता है, उन्हें इसका कितना खतरा खतरा रहता होगा? कोरोना का इलाज करते समय संक्रमित होकर मरने वाले मेडिकल स्टाफ की संख्या हजारों में है।
इस इन्फेक्शन के फैलने का क्या कारण है?
अस्पतालों में उपयोग होने वाले स्वास्थ्य देखभाल परिधान (जैसे – स्क्रब, गाउन, डॉक्टर कोट, मरीजों के कपड़े आदि) में बहुत सारे छोटे-छोटे ना दिखने वाले bacteria, virus, or fungus चिपके रहते हैं। जो बीमारी का कारण बन सकते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कपड़े की नरम और छिद्रयुक्त सतह हानिकारक bacteria, virus, or fungus के पनपने एवं उनके प्रसार के लिए उत्तम जगह होती है। (आप ने अगर कभी ध्यान दिया हो तो कई बार जब आप किसी कपड़े को एक समय तक इस्तेमाल ना करें तो उनमें fungus लग जाता है)
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वैश्विक स्तर पर अस्पताल में भर्ती हर दस में से एक मरीज को अस्पताल से प्राप्त संक्रमण का सामना करना पड़ता है।
अस्पताल में इस्तेमाल होने वाले इन तमाम कपड़ों/ परिधानों को बार-बार साफ करने के बाद भी कुछ ना कुछ किटाणु न केवल कपड़ों के साथ चिपके रहते हैं, बल्कि संक्रमण भी फैलाते रहते हैं।
हम अस्पताल में होने वाले इन्फेक्शन के बारे में अभी इतनी बातें क्यों कर रहे हैं?
आप शायद यही सोच रहे होंगे कि हम अस्पताल में होने वाले इन्फेक्शन के बारे में अभी इतनी बातें क्यों कर रहे हैं? है ना। तो जवाब है कि भाई IIT DELHI के द्वारा, INCUBATED STARTUP MEDICFIBER और AIIMS NEW DELHI के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एक बहुत ही प्रभावी SOLUTION विकसित किया है। इस का नाम है वायरोक्लॉग सॉल्यूशन जिसकी मदद से अस्पतालों में काम करने वाले लोगों को इन तमाम रोगजनकों के इन्फेक्शन से रहित कपड़े व टेक्सटाइल मैटेरियल उपलब्ध कराने का रास्ता खुल सकता है। जिससे इन्फेक्शन को फैलने से रोकने में मदद मिल सकती है।
मेडिकफाइबर ने चिकित्सकों, कर्मचारियों, एवं मरीजों के लिए रोगजनक सूक्ष्मजीवों के संक्रमण से रहित वस्त्रों के साथ-साथ अस्पतालों में उपयोग होने वाली बेडिंग इत्यादि की विस्तृत श्रृंखला पेश की है। इसमें रोगजनक सूक्ष्मजीव प्रतिरोधी डॉक्टर्स कोट, गाउन, ओटी गाउन, स्क्रब सूट, चादरें इत्यादि शामिल हैं।
इन कपड़ों और टैक्सटाइल मैटेरियल की विशेषता यह है कि इन पर वायरोक्लॉग (ViroClog) नामक नये विकसित एक विशिष्ट सॉल्यूशन की कोटिंग की गई है। सॉल्यूशन की यह कोटिंग कपड़ों पर संक्रमण पैदा करने वाले रोगजनकों को पनपने नहीं देती। इस सॉल्यूशन की एक और विशेषता यह है कि यह लंबे समय तक प्रभावी रहता है। और संक्रमण फैलने का खतरा कम हो सकता है।
वायरोक्लॉग सॉल्यूशन कैसे काम करता है?
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शोधकर्ताओं का कहना है कि वस्त्रों पर वायरोक्लॉग सॉल्यूशन का लेप करने से कपड़ों की सतह की ऊर्जा कम हो जाती है, जिससे रोगाणुओं को चिपकने से रोका जा सकता है, और उनकी झिल्ली नष्ट हो जाती है। लिपिड-आधारित झिल्ली अवरोध का विनाश रोगाणुओं को निष्क्रिय कर देता है। अस्पतालों में उपयोग होने वाले कपड़ों के साथ इस रोगाणुरोधी प्रौद्योगिकी को एकीकृत करके जीवन बचाने और स्वास्थ्य संबंधी खर्च को कम करने में भी मदद मिल सकती है।
एम्स, नई दिल्ली, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलूरू और परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशालाओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) से मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं द्वारा किए गए परीक्षणों से पता चलता है कि वायरोक्लॉग रोगाणुरोधी अस्पताल के कपड़ों के माध्यम से संक्रमण को कम करने में सक्षम है।
स्टार्टअप के सलाहकार और आईआईटी दिल्ली में संकाय सदस्य डॉ सचिन कुमार बताते हैं कि-
“टैक्सटाइल मैटेरियल छिद्रयुक्त होते हैं, जिसके कारण रोगजनक बैक्टीरिया वस्त्रों पर आसानी से पनप सकते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के आर्द्र और गर्म वातावरण में रोगजनकों की वृद्धि अधिक होती है। इसके अलावा, अस्पताल-जनित संक्रमण लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती होने, वित्तीय बोझ और अधिक मृत्यु दर का कारण बनता है। इसलिए, स्वास्थ्य देखभाल के लिए अस्पतालों में रोगाणुरोधी कपड़ों की एक श्रृंखला के माध्यम से अस्पताल-जनित संक्रमण के बोझ को कम करने के लिए प्रभावी प्रौद्योगिकी विकसित करना समय की माँग है।”
मेडिकफाइबर के संस्थापक हर्ष लाल ने कहा है कि-
“बाजार के मौजूदा खिलाड़ी मुख्य रूप से सिल्वर-कोटेड नैनो कणों पर भरोसा करते हैं, जबकि वायरोक्लॉग काफी अलग है, जिसमें व्यापक स्पेक्ट्रम रोगाणुरोधी गुण हैं। वर्तमान में उपलब्ध सॉल्यूशन करीब 50 वॉश तक कोटिंग सुरक्षा प्रदान करते हैं। लेकिन, कई प्रयोगशाला परीक्षणों में पेटेंट किए गए वायरोक्लॉग उच्च स्थायित्व का प्रदर्शन करते हुए 100 से अधिक वॉश तक सुरक्षा प्रदान कर सकता है, और संक्रमण को कम करने में मदद करता है।”
कोविड-19 जैसी महामारी के प्रकोप को देखते हुए स्टार्टअप के चिकित्सा सलाहकार और एम्स नई दिल्ली में संकाय सदस्य डॉ विक्रम सैनी ने कहा है कि –
“अस्पतालों में चिकित्सा-कर्मियों के लिए सुरक्षात्मक कपड़ों की तत्काल आवश्यकता है, जो किफायती और आरामदायक होने के साथ-साथ रोगाणुओं के खिलाफ लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम हों।”
तो हम उम्मीद करते हैं कि इस नई खोज की वजह से अस्पतालों में फैलने वाले संक्रमण पे लगाम लगेगी।
यह खबर इंडिया साइंस वायर की खबर के आधार पर लिखी गई है।
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