कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत को सबके सामने ला दिया है। आज जब लोगों को अस्पताल में एक बेड और ऑक्सीजन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है तब एक मैसेज बड़ी तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें होमियोपैथी की कुछ दवाइयों के नाम दिए हैं और दावा किया जा रहा है कि इनका इस्तेमाल करने से शरीर का ऑक्सीजन लेवल ठीक हो जाएगा। ये दावे सच हैं या केवल लोगों को भरमाया जा रहा है द न्यूज़बीन्स ने इसकी पड़ताल की।

कोरोना के दौरान शरीर में ऑक्सीजन क्यों कम होती है?

कोरोना वायरस हमारी सांस के जरिये हमारे शरीर में घुसता है, जब वायरस हमारे फेफड़ों तक पहुंचता है तो वहां ऐल्वियोली (alveoli) कहलाने वाली बहुत छोटी छोटी हवा की थैलियां होती हैं, इन थैलियों के आसपास हमारी खून की नलियां लिपटी रहती हैं, हर बार जब हम सांस लेते हैं तब हमारे खून में जो कार्बन डाइऑक्साइड है वो इन थैलियां में चला जाता है और वहाँ मौजूद ऑक्सीजन हमारे खून में पहुंच जाती है, सांस छोड़ने पर हम कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकाल देते हैं। ऐसी लाखों थैलियां हमारे फेफड़ों में होती हैं और ये काफी संवेदनशील होती हैं, जब वायरस का इंफेक्शन यहां होता है तो इन थैलियों की कोशिकाएं (cells) नष्ट होने लगते हैं और इनमें तरल भरने लगता है, इस वजह से यहां से गुजरने वाले खून से कार्बन डाइऑक्साइड निकल कर फेफड़ों में नहीं जा पाती और फेफड़ों में मौजूद ऑक्सीजन हमारे खून में नहीं घुल पाती। इसी वजह से हमारे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर गिरने लगता है।

होमियोपैथी क्या है?

होमियोपैथी एक चिकित्सा पद्धति है जिसकी कल्पना 1796 में जर्मन चिकित्सक सैमुअल हैनीमैन ने की थी। इसका इस्तेमाल करने वालों का मानना ​​है कि एक पदार्थ जो स्वस्थ लोगों में एक बीमारी का कारण बनता है, बीमार लोगों में वही पदार्थ बीमारी को ठीक कर सकता है; इसको ”सिमिलिया सिमिलिबस क्यूरेंट” या “जैसे को तैसा इलाज” कहा जाता है। अब बात करें होमियोपैथी की दवाइयों की, तो इन्हें किसी भी पदार्थ को बार बार dilute कर के तैयार किया जाता है। dilution का मतलब क्या है? इसे ऐसे समझें कि आपके पास एक ग्राम नमक है उसे आपने 9 मि.ली. पानी में घोल लिया, अब इस मिश्रण में से 1 मि.ली को आपने फिर 9 मि.ली पानी में मिलाया… और ये प्रक्रिया आपने 10 बार की तो आपने इस मिश्रण को 10 गुना dilute कर दिया। इस dilution से आखिरी में एक ऐसा मिश्रण बचा जिसमें नाम मात्र का भी नमक नहीं है, पर होमियोपैथी में इसी मिश्रण को दवा माना जा सकता है। इसमें कई पदार्थों को 30 बार तक dilute किया जाता है। ऐसा करने पर कई बार तो उस पदार्थ या तथाकथित दवाई का एक अणु भी मिश्रण में नहीं बचता अब आप ही सोचिये ऐसी स्थिति में ये दवाई कितनी कारगर होंगी? पर कई लोग कहते हैं कि उन्हें होमियोपैथी से फायदा होता है? इसका क्या जवाब है? इसका जवाब है “placebo effect”

अब ये placebo effect क्या है?


ये एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है, फर्ज करिए कि आप ने अपने दोस्त के साथ भोजन कर रहे हैं, खाना भी अच्छा है और कोई आपको बताए कि ये खाना कल का बासी और सड़ा हुआ खाना है तो जो खाना आपको कुछ पल पहले तक स्वादिष्ट लग रहा था वही आपको खराब लग सकता है, कुछ लोगों को तो उबकाई और अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। यही है placebo effect
ऐसा होम्योपैथी दवाइयों में भी होता है, हमें जो दवा दी जाती है उसमें कोई खास असर नहीं होता लेकिन हमको ये भरोसा हो जाता है कि हमें फायदा हो रहा है। असल में खांसी, बुखार, फोड़े, फुंसी जैसी कम घातक बीमारियों को तो शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति ही ठीक कर रही होती है और हम उस दौरान यदि होमियोपैथी का इस्तेमाल कर रहे होते हैं तो ऐसा लगता है कि दवाई सच में असर कर रही है।

तो क्या होमियोपैथी से ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है?

इसका जवाब है ‘नहीं’ बिल्कुल नहीं! अभी तक मौजूद वैज्ञानिक रिसर्च में ऐसा कुछ भी निकल कर सामने नहीं आया है जिसके आधार पर कहा जा सके कि होमियोपैथी की कोई दवा शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ा सकती है।

ऑक्सीजन कम होने पर क्या करें?

पल्स ऑक्सिमीटर में अगर आपकी ऑक्सीजन (SPO2) की रीडिंग लगातार 94% से कम आ रही है तो ये चिंता की बात है, जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अगर सांस लेने में समस्या बढ़ रही है और लगातार ऑक्सीजन स्तर घट रहा है तो पेट के बल प्रोन पोजीशन (prone position) में लेट जाएं। ऑक्सीजन स्तर स्थिर होने पर डॉक्टर से संपर्क करें। CT स्कैन के जरिए आपके फेफड़ों को हुए नुकसान का पता चलता है डॉक्टर की सलाह पर CT स्कैन कराएं और उसके आधार पर उपचार को आगे बढ़ाएं।

About Author

Siddharth Singh Tomar

+ posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *