रात का आकाश हमेशा से मानव जिज्ञासा का केंद्र रहा है। सितारों की चमक, चाँद की रोशनी और कभी-कभी प्रकृति के अनोखे खेल – ये सब हमें ठहरकर देखने को मजबूर कर देते हैं। इसी कड़ी में सितंबर 2025 हमें एक विराट और अद्भुत अवसर देने वाला है, जब भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के लोग मिलकर आकाश में एक बेहद मोहक दृश्य (ब्लड मून 2025) देखेंगे।

जी हाँ, 7-8 सितंबर 2025 को पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, और इस दौरान चाँद एक गहरे लाल रंग में तब्दील हो जाएगा, जिसे आम भाषा में “ब्लड मून” या “कॉपर मून” कहा जाता है।
📅 कब और कैसे दिखाई देगा ग्रहण (ब्लड मून 2025)?
खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार यह पूर्ण चंद्रग्रहण इस प्रकार दिखाई देगा –
- उपच्छाया ग्रहण प्रारंभ: 7 सितंबर, रात 8:58 बजे
- समग्रता प्रारंभ: 7 सितंबर, रात 11:00 बजे
- अधिकतम ग्रहण: 7 सितंबर, रात 11:41 बजे
- समग्रता समाप्त: 8 सितंबर, रात 12:22 बजे
- ग्रहण का पूरा अंत: 8 सितंबर, सुबह 2:25 बजे
कुल अवधि लगभग 5 घंटे 27 मिनट की होगी। और खास बात यह है कि यह पूरा ग्रहण (ब्लड मून 2025) भारत के हर कोने से साफ़ दिखाई देगा।
🔴 चाँद क्यों होता है लाल?
बहुत से लोगों के मन में सवाल आता है कि ग्रहण के समय चाँद तांबे जैसा लाल क्यों हो जाता है?

दरअसल, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो सूर्य की सीधी रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुँच पाती। पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य की किरणों को मोड़ देता है। इस दौरान नीली और बैंगनी जैसी छोटी तरंग दैर्ध्य वाली रोशनी बिखर जाती है, और नारंगी एवं लाल जैसी लम्बी तरंग दैर्ध्य चाँद की सतह तक पहुँचती हैं। यही कारण है कि चंद्र ग्रहण के समय चाँद लाल दिखाई देता है जिसे हम ब्लड मून के नाम से भी जानते हैं। यदि वातावरण में अधिक धूल या प्रदूषण मौजूद हो, तो लालिमा और गहरी हो जाती है।
🛑अंधविश्वास नहीं, विज्ञान अपनाइए
- इतिहास गवाह है कि चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय कई तरह के अंधविश्वास फैलाए जाते हैं – खाना न खाना, पानी न पीना, पूजा-पाठ करना या ग्रहण को अशुभ मानना।
- लोगों को बताएं कि ग्रहण के दौरान “ब्लड मून” दिखाई देने का कारण खगोल और वायुमंडलीय विज्ञान है, न कि कोई धार्मिक कारण।
- विज्ञान भी यही स्पष्ट करता है कि यह एक पूरी तरह स्वाभाविक खगोलीय घटना है। इसका मानव जीवन या स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता। इसलिए अंधविश्वासों से दूर रहकर इसे एक अनोखी खगोलीय घटना का आनंद लें। इसे भी पढ़ें।
🌍 शांति और वैज्ञानिक सोच के साथ-साथ
चूँकि 1 सितंबर को विश्व शांति दिवस मनाया जाता है, ऐसे में 7 सितंबर को भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया द्वारा देखा जाने वाला यह अंतिम पूर्ण चंद्रग्रहण शांति, एकजुटता और वैज्ञानिक सोच का प्रतीक बन सकता है।
✅ याद रखें
7-8 सितंबर 2025 की रात को चाँद एक लाल, अद्भुत और रहस्यमयी छवि में नजर आने वाला है। यह न केवल प्रकृति का मनमोहक खेल है, बल्कि अंधविश्वासों को पीछे छोड़कर नई पीढ़ी में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाने का अवसर भी है। तो इस बार ग्रहण से जुड़े मिथकों में उलझने के बजाय, दूरबीन उठाइए, आसमान की ओर देखिए और इस खगोलीय उत्सव का हिस्सा बनिए।